मन रे नेकी कर ले दो दिन का मेहमान लिरिक्स
मन नेकी कर ले, दो दिन का मेहमान ।।
दो दिन का मेहमान….
मन नेकी कर ले, दो दिन का मेहमान ।।
जोरु लड़का, कुटम्ब कबीला,
दो दिन का, तन मन का मेला ।।
अंत काल उठ चले अकेला,
तज माया मंडाण…
मन नेकी कर ले….
कहाँ से आया, कहाँ जाएगा,
तन छूट तब कहाँ समाएगा ।।
आखिर तुझको, कौन कहेगा,
गुरु बिन आत्मज्ञान…
मन नेकी कर ले…
कौन तुम्हारा, सच्चा साईं,
झूठी है यह, सकल सगाई ।।
चलने से पहले सोच रे भाई,
कहाँ करेगा विश्राम ।
मन नेकी कर ले…
हरहट माल, पनघट जो भरता,
आवत जावत, भरै और रीता ।।
युगन युगन तू जीता मरता,
करवा ले रे कल्याण…
मन नेकी कर ले…
लख चौरासी की सह त्रासा,
ऊँच नीच घर, लेता वासा ।।
कह कबीर, सब मिटा दूँ रासा,
तू कर मेरी पहचान…
मन नेकी कर ले, दो दिन का मेहमान
मन नेकी कर ले, दो दिन का मेहमान