मन को निर्मल बनाना बड़ी बात है लिरिक्स
तन को जल से धुलाना सरल है मगर
मन को निर्मल बनाना बड़ी बात हैं
कोशिशें कोई लाखों भले ही करें
किन्तु सदगुरु बिना बात बनती नहीं
ग्रन्थ पढ़ ज्ञान पा लेना आसान हैं
अपना आनंद पाना बड़ी बात हैं
तन को जल से धुलाना सरल है
मगर मन को निर्मल बनाना बड़ी बात हैं
पंथ में वेश में देश परदेश में
चित्त रहता फसा राग और द्वेष में
दिल किसी का जलाना कठीन ही हैं क्या ज्ञान
दीपक जलाना बड़ी बात हैं
बन के विद्वान विद्या के अभिमान में
अपना मत तो चलाना असम्भव नहीं
पूरे सैयम सहित धर्म की राह पर
ज़िंदगी को चलाना बड़ी बात हैं
तन को जल से धुलाना सरल है मगर
मन को निर्मल बनाना बड़ी बात हैं
घट में राजेश आनंद भरपूर हैं
पाने वाला मगर फ़िर भी क्यूं दूर हैं
क्यूं कि सुन गुरू वचन मोह की नींद को
त्याग कर जाग जाना बड़ी बात हैं
तन को जल से धुलाना सरल है मगर
मन को निर्मल बनाना बड़ी बात हैं