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चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे लिरिक्स | Chalna Hai Door Musaphir Kahe Sove Re Lyrics

चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे लिरिक्स

चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे लिरिक्स


चलना है दूर मुसाफिर,काहे सोवे रे,
काहे सोवे रे..मुसाफिर! काहे सोवे रे,

चेत-अचेत नर सोच बावरे,
बहुत नींद मत सोवे रे,
काम-क्रोध-मद-लोभ में फंसकर
उमरिया काहे खोवे रे,
चलना है दूर मुसाफिर,काहे सोवे रे |

सिर पर माया मोह की गठरी,
संग दूत तेरे होवे रे,
सो गठरी तोरी बीच में छिन गई,
मूंड पकड़ कहाँ रोवे रे,
चलना है दूर मुसाफिर,काहे सोवे रे |

रस्ता तो दूर कठिन है,
चल अब अकेला होवे रे,
संग साथ तेरे कोई ना चलेगा,
काके डगरिया जोवे रे,
चलना है दूर मुसाफिर,काहे सोवे रे |

नदिया गहरी,नांव पुरानी,
केही विधि पार तू होवे रे,
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
ब्याज धो के मूल मत खोवे रे,
चलना है दूर मुसाफिर,काहे सोवे रे |

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